आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। सिर्फ़ कोविड-19 ही नहीं आमतौर पर बरसात के दिनों में आँखों में हो जाने वाला इन्फ़ेक्शन कंजक्टिवाइटिस भी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे फैल सकता हैण् इसलिए कंजक्टिवाइटिस इन्फ़ेक्शन हो जाने पर भी आइसोलेशन करना चाहिएण् यह इन्फ़ेक्शन इतना साधारण भी नहीं होता कि उसे नज़रअन्दाज़ किया जाए या खुद ही कोई दवा लेकर आँखों में डाल ली जाए । बरसात के मौसम में आमतौर पर फैलने वाला वायरल आँखों में कंजक्टिवाइटिस की बीमारी पैदा करता है जो आँखों को परमानेंट नुक़सान भी कर सकता है ।
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कंजक्टिवाइटिस या श्रेड आई सिंड्रोमश् एक वायरल इन्फ़ेक्शन है जो आँख की ऊपरी परत जिसे कंजक्टिवा कहा जाता है को सीधे तौर पर प्रभावित करता हैण् इस इन्फ़ेक्शन से आँखें लाल हो जाती हैं । आँखों में जलन होती हैण् इस दौरान तेज रोशनी या धूप में आखें खोलने में परेशानी होती है ।
पर यह सिर्फ़ इतना सा ही नहीं होताण् लापरवाही बरतने से यह इन्फ़ेक्शन आँखों के कोर्निया को नुक़सान पहुँचा सकता है जिससे आँखों की रोशनी भी जा सकती हैण् इस बारे में चंडीगढ़ के सेक्टर 22 के कोर्निया सेंटर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक शर्मा का कहना है कि आमतौर पर इलाज कराने पर कंजक्टिवाइटिस भी अन्य वायरल इन्फ़ेक्शन की तरह दो सप्ताह में ठीक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि कंजक्टिवाइटिस में भी दो सप्ताह तक आइसोलेशन में रहना ज़रूरी होता हैण् सम्पर्कमें आने पर इसके दूसरे लोगों में फैलने की आशंका होती हैण् परिवार के अन्य सदस्यों में इसे फैलने से रोकने के लिए एक.दूसरे के कपड़ेए तौलिए आदि इस्तेमाल करने से बचना चाहिएण् कंजक्टिवाइटिस के दौरान मरीज़ को काला चश्मा पहनने की सलाह भी इसीलिए दी जाती है कि आँखों को बार बार छूने से बचा जाए और इन्फ़ेक्शन फैलने से रोका जा सके ।
उनका कहना है कि चूँकि कोविड-19 का वायरस मुँह, नाक और आँखों के ज़रिए शरीर में पहुँचता हैए इसलिए मास्क के साथ आँखों पर चश्मा या शील्ड लगाने का सुझाव दिया जा रहा है।
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि आमतौर पर कंजक्टिवाइटिस एक आँख को अधिक प्रभावित करता है। इस इन्फ़ेक्शन में कोर्निया के सब.एपीथिलियल सेल डेमेज हो सकते हैं जिससे आँखों की रोशनी चली जाती हैण् देखा जाता है कि कंजक्टिवाइटिस होने पर लोग ख़ुद ही दवा की दुकान से आई.ड्रॉप्स ख़रीदकर आँखों में डाल लेते हैंण् इन आई.ड्रॉप्स में स्टेरॉयड भी होता है जो इन्फ़ेक्शन को ठीक करने की बजाय बढ़ा देता है।
इसके अलावा देखा गया है कि इन्फ़ेक्शन होने पर आँखों में जलन से बचने के लिए लोग दिन में कई बार आँखों को पानी से धोते रहते हैं जो कि और भी नुक़सानदेय साबित होता है।
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस होने पर नेत्ररोग विशेषज्ञ से जाँच कराएँ और इलाज लेंण् क्योंकि देखा गया है कि पचास प्रतिशत मामलों में कंजक्टिवाइटिस ठीक होने के बाद फिर से आ सकता है जो पहले के मुक़ाबले आँखों को अधिक नुक़सान दे सकता है।
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